महिलाओं के सामाजिक स्थान में हमारे सभी धर्म और रीतियों कितना योगदान रहा है? क्या किसि धर्म ने उन्हें पुरुषों के सामान दर्जा दिया है? सदियों से चले आ रहे महिलाओं के शोषण में धर्म और उसकी परम्पराओ का कितना योगदान है? सभी धर्मों के संथापक एवं करता-धर्ता केवल पुरुष ही क्यों है? ऐसे कई सवाल है जिनके जवाब अगर हम ढूढने की कोशिश करें तो शायद धर्म का असली मकसद और स्वरुप हमारे सामने आ जाये...किसी विशेष धर्म के ऊपर टिका करना मेरा उद्देश नहीं लेकिन ये सरे सवाल पूछना भी बेहद जरूरी है..
YouTube link: http://www.youtube.com/watch?v=M7exRV-ULP8
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